ना थको तुम ना झुको तुम। जब तक ना मिले मंजिल
तब तक ना रुको तुम।
राह चलते गुजर जाए वक्त कोशिश से पर्याय नहीं।
रुकना होगा ना डरना होगा। आंधी से कहना ये वक्त हमारा होगा।
तूफानों से बड़कड़ सोच जो रखे। सूरज के आंगन में चमचमाता दिखे।
ना थको तुम ना झुको तुम।
जब तक ना मिले मंजिल तब तक ना रुको तुम।
जब आए मुसीबत तो पैर अपने जमाए रखना।
पेड़ जब निम का हो तो।
क्यूव आंधी मै डगमगाना।
धैर्य की शाखा पर जो बैठे ।
सफलता के मंजिल पहुंचे।
ना कहने की अब कोई बात नहीं।
चट्टान से बड़कड़ मेरा इरादा सही।
जा कर सिमट लो मोती किताबों से।
प्राण त्यागे वो फिरसे उछल जाए।
ना थको तुम ना झुको तुम।
जब तक ना मिले मंजिल तब तक ना रुको तुम।